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गोरखपुर

मानवाधिकारवादियों के सत्याग्रह से सरकार को परहेज क्यों- शैलेंद्र मिश्र

भ्रष्टाचार पर सरकार के जीरो टॉलरेंस को भ्रष्टाचारियों ने किया बेनकाब।

सेराज अहमद कुरैशी

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

लोक निर्माण विभाग में प्रधान लेखाकार के वार्षिक लेखा परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार कारित भ्रष्टाचार के विरुद्ध तीसरी आंख मानवाधिकार संगठन द्वारा 1164 दिनों से प्रचलित अहिंसात्मक सत्याग्रह संकल्प पर सरकार की अब तक की उदासीनता इस बात का इशारा करती है कि सरकार को मानवाधिकारवादियों के सत्याग्रह संकल्प से परहेज है या भ्रष्टाचारियों से चोली दामन का साथ है।
सत्याग्रह संकल्प पर बैठे संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेंद्र कुमार मिश्र ने कहा कि सरकार के अब तक के कार्य प्रणाली से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बेखौफ मगरूर सरकार अहिंसात्मक आंदोलन का वजूद धरातल से नदारत करने पर आमादा है और प्रदेश में निरंकुश भ्रष्टाचार के चतुर्दिक विकास और भ्रष्टाचारियों के पोषण के लिए प्रतिबद्ध है।
यही कारण है कि प्रदेश में बढ़ती महंगाई दर से भी उच्च दर पर भ्रष्टाचार का दर बढ़ता नजर आ रहा है।
उक्त के क्रम में संगठन के जिला मंत्री रामचंद्र दुबे ने कहा कि समझ में यह नहीं आ रहा है कि वर्तमान सरकार को अपने खामियों और अछमता पर उठती आवाज सुनने का सामर्थ क्यों नहीं है क्या सरकार का विकास भ्रष्टाचार के शंखनाद पर आधारित है?
या समाज के निचले तबके और मध्यम वर्गीय जन सामान्य के बुनियादी आवश्यकताओं के कत्लेआम पर आधारित है, यदि ऐसा है तो सरकार को चाहिए कि आम जनता के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे संवैधानिक अधिकारों को गैर संवैधानिक करार दे दे।
सत्याग्रह संकल्प पर कुशीनगर से आए जिला अध्यक्ष पवन कुमार गुप्ता ने कहा कि वर्तमान सरकार जनरल डायर के पद चिन्हों पर चलते हुए आम आदमी के आवाजों को मौत की नींद सुलाने पर आमादा है तो ऐसे में वर्तमान सरकार को यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि लोकतंत्र की परिधि से बाहर होकर वर्तमान सरकार क्रूर अंग्रेजी शासक बन चुका है लेकिन सरकार को यह भी सोचना चाहिए कि इस तरह की कार्यशैली सरकार के कार्यकाल का अंतिम कील साबित हो सकता है।
सत्याग्रह संकल्प पर उपस्थित संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तबस्सुम, प्रदेश संयोजक डीएन सिंह, महानगर अध्यक्ष संतोष गुप्ता, चंद्रप्रकाश मणि, शशिकांत माथुर, राज मंगल गौड़,वीरेंद्र वर्मा,शमशेर जमा खान, राजेश्वर पांडे व अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।

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