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दीनी-दुनियावी तालीम के प्रति मुसलमानों को जागरूक किया जाए : निकहत

मुस्लिम महिलाओं व पुरूषों का जलसा

गोरखपुर। रविवार को तिवारीपुर स्थित मस्जिद खादिम हुसैन के बगल में मुस्लिम समुदाय की महिलाओं व पुरूषों ने समाज को बेहतर बनाने के लिए सुबह से रात तक जलसा किया। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की तालीमात के मुताबिक जिंदगी गुजारने पर जोर दिया।

महिलाओं का जलसा ‘बज्मे ख़्वातीने इस्लाम’ नाम से हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात व मनकबत पेश की गई। मुख्य वक्ता जन्नतुन निसा, निकहत फातिमा व शबनम खातून ने कहा कि इबादत में लज़्ज़त तभी मिलेगा जब हमारे पास दीनी तालीम होगी। दीनी तालीम हमारी हर जगह रहनुमाई करती है और मुस्लिम समाज में सबसे बड़ी कमी दीनी व दुनियावी तालीम की है। दीनी व दुनियावी तालीम में हम बहुत पीछे हैं। लिहाजा दीनी व दुनियावी तालीम के प्रति मुसलमानों को जागरूक किया जाए। तालीम हासिल करने की कोई उम्र नहीं होती। लिहाजा सभी को झिझक छोड़ कर तालीम हासिल कर अल्लाह का नेक बंदा बनना चाहिए। लोगों को दीनी तालीम के साथ-साथ खाने, पीने, उठने, बैठने, सोने, बेहतर अख़लाक, साफ-सफाई, हलाल रिज़्क कमाने, अच्छा शहरी बनने व गुनाहों से बचने की भी तालीम भी हासिल करनी चाहिए। जलसे में ताबिंदा खानम व शुएबा अनीस की दस्तारबंदी हुई। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। जलसे में इशरत जहां, हदीसुन निसा, कैसर जहां, अजीबुन निसा, सरवरी खातून, अफसरी खातून, अख्तरी खातून, मोहसिना फातिमा, गजाला फातिमा, फातिमा इजहार, शहाना खातून, कहकशां फातिमा सहित बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद रहीं।

क़ुरआन पढ़ना और पढ़ाना बहुत सवाब का काम है : कारी अफ़जल

तिवारीपुर में ही पुरुषों का जलसा हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात व मनकबत पेश की गई। अध्यक्षता करते हुए कारी मोहम्मद अफजल बरकाती व मुफ्ती शमशाद अहमद मिस्बाही ने कहा कि क़ुरआन-ए-पाक की तालीम हासिल करना हर मुसलमान के लिए जरूरी है। मुसलमानों को चाहिए कि वह अपने बच्चों को क़ुरआन जरूर पढ़ाएं। क़ुरआन पढ़ना और पढ़ाना बहुत सवाब का काम है।मुसलमान क़ुरआन व हदीस की तालीमात के मुताबिक ज़िंदगी गुजारें। तालीम पर मुसलमान ज्यादा ध्यान दें। तालिबे इल्म को चाहिए कि वह लगन के साथ क़ुरआन और दीन की तालीम हासिल कर पूरी दुनिया में इसकी रौशनी फैलाने का काम करें। पाबंदी के साथ नमाज़ पढ़ें क्योंकि नमाज़ हर बुराई से रोकती है। दीन-ए-इस्लाम में आम इंसानों के हुक़ूक के साथ-साथ वालिदैन के हुक़ूक, मियाँ-बीवी के हुक़ूक़, पड़ोसियों के हुक़ूक़ और मज़दूरों के हुक़ूक़ की अदायगी के लिए ख़ास हिदायात जारी फ़रमाई है। दीन-ए-इस्लाम में यतीमों, बेवाओं और मज़लूमों का ख़ास ख़्याल रखा गया है।

जलसे में हाफिज मो.अनस रजा व हाफिज अब्दुल वाहिद की दस्तारबंदी हुई। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में भाईचारगी की दुआ मांगी गई। जलसे में हाजी खुर्शीद आलम खान, अशरफ हुसैन सिद्दीक़ी, कारी सरफुद्दीन मिस्बाही, मुफ़्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन, मौलाना रियाजुद्दीन, मौलाना फिरोज, अफरोज रजा, मो. इदरीस, मो. अनीस, कारी मो. मोहसिन, नजरे आलम, मुफ्ती मुनव्वर आदि ने शिरकत की।

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