मुंबई के ठाणे शहर में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कोपिनेश्वर मंदिर के पीठासीन देवता की पालकी को कंधा दे कर गुढी पाढ़वा के रस्म को पुरा कर अन्य लोगों के साथ कुछ दूरी तक अपने कंधों पर ढोया. उन्होंने चिंतामणि चौक पर जिम्नास्टिक में प्रतिभागियों और कलाकारों पर पुष्पवर्षा भी की. पद्मभूषण से सम्मानित प्रसिद्ध वायलिन वादक एन राजम भी उपस्थित थे।
महाराष्ट्र में आज बुधवार को गुड़ी पड़वा का त्योहार उत्साह और धूमधाम से मनाया जा रहा है और लोगों ने अपने घरों पर गुड़ी चढ़ाई और पारंपरिक मराठी नव वर्ष की शुरुआत के स्वागत में जुलूस निकाले गए।
गुड़ी पड़वा के दिन को लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, उन्हें रंग-बिरंगी रंगोली से सजाते हैं और गुड़ी फहराते हैं- एक बांस की छड़ी को एक रंगीन कपड़े से सजाया जाता है जो शीर्ष पर ‘कलश’ से बंधी होती है नीम के पत्ते और आम के पत्तों के साथ फूलों की एक माला होती है.’गुड़ी’ या ‘गुढ़ी’ शब्द का अर्थ एक ध्वज होता है और ‘पड़वा’ प्रतिपदा अमावस्या का पहला दिन होता है. ‘गुडि़यों’ को फहराना शुभ माना जाता है और माना जाता है कि यह सौभाग्य और भाग्य लाता है. नई फसल के मौसम की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए किसान ‘गुड़ी पड़वा’ त्योहार मनाते हैं.मुंबई शहर और अन्य जगहों पर पारंपरिक पोशाक में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के साथ रंगारंग जुलूस निकाले जा रहे हैं. संगीत प्रदर्शन, पारंपरिक ढोल बजाना और लेज़िम नृत्य इन जुलूसों या शोभायात्राओं के प्रमुख आकर्षण हैं।
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