गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
मुकद्दस रमज़ान मे नमाज व कुरआन-ए-पाक की तिलावत में बीता।रोजेदार नेकी कर आखिरत संवार रहे हैं। चारों तरफ रौनक है। मस्जिद नमाजियों के सज्दे से आबाद है। घरों में इबादतों का दौर जारी है। कसरत से कलमा पढ़ा जा रहा है। पैग़ंबरे इस्लाम की बारगाह में दरूदो सलाम का नज़राना पेश किया जा रहा है। अल्लाह के बंदे दिन में रोजा रखकर व रात में तरावीह की नमाज पढ़कर अल्लाह की नेमतों का शुक्र अदा कर रहे हैं। मंगलवार को बेनीगंज ईदगाह में सामूहिक रोजा इफ्तार का आयोजन हुआ। सैकड़ों लोगों ने रोजा इफ्तार कर अमनो अमान की दुआ मांगी।
मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर के शिक्षक कारी मो. अनस रज़वी ने कहा कि रमज़ान में कोई शख्स किसी नेकी के साथ अल्लाह का करीबी बनना चाहे तो उसको इस कदर सवाब मिलता है गोया उसने फर्ज अदा किया। जिसने रमज़ान में फर्ज अदा किया उसको सवाब इस कदर है गोया उसने रमज़ान के अलावा दूसरे महीनों में सत्तर फर्ज अदा किए। रमज़ान सब्र का महीना है और सब्र का बदला जन्नत है। यह एक ऐसा महीना है कि जिसमें मोमिन का रिज्क बढ़ा दिया जाता है। जो इसमें किसी रोजेदार को इफ्तार कराए तो उसके गुनाह माफ कर दिए जाते हैं और उसकी गर्दन जहन्नम की आग से आजाद कर दी जाती है।
सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर के इमाम मौलाना अली अहमद ने बताया कि माह-ए-रमज़ान में एक रकात नमाज़ पढ़ने का सवाब 70 गुना हो जाता है। इसी पाक महीने में कुरआन-ए-पाक नाजिल हुआ। रमज़ान का मुबारक महीना और फिजा में घुली रूहानियत से दुनिया सराबोर हो रही है, ऐसा लगता है कि चारों तरफ नूर की बारिश हो रही हो। यह महीना बंदे को तमाम बुराइयों से दूर रखकर अल्लाह के करीब होने का मौका देता है। इस माह में रोजा रखकर रोजेदार न केवल खाने-पीने कि चीजों से परहेज करते हैं बल्कि तमाम बुराइयों से भी परहेज कर अल्लाह की इबादत करते हैं।
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