ईद की तैयारियां हुई शुरु।
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
तेज धूप में मुसलमानों के सब्र का इम्तिहान हो रहा है। तरावीह की नमाज जारी है। नमाज व कुरआन-ए-पाक की तिलावत मस्जिद व घरों में हो रही है। शहर की विभिन्न मस्जिदों में एतिकाफ पर बैठे रोजेदार नमाज, रोजा व तिलावत के जरिए अल्लाह को राजी करने में जुटे हुए हैं। खूब दुआएं मांगी जा रही है। ईद के लिए सेवई, मेवा, कुर्ता-पायजामा, इत्र, टोपी, शर्ट-पैंट, सलवार सूट, बर्तन, ज्वैलरी, जूता चप्पल रेती चौक, शाह मारूफ, घंटाघर, गोलघर, गोरखनाथ, जाफ़रा बाज़ार, गीता प्रेस, उर्दू बाजार आदि जगहों से खरीदा जा रहा है। अलविदा व ईद को लेकर छोटे से लेकर बड़ों में उत्साह है।
मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक के इमाम मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने बताया कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया है कि यदि समाज का एक तबका अपनी जायज जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता है तो आर्थिक रूप से सम्पन्न लोगों की यह जिम्मेदारी है कि वे उसे खुशहाल ज़िन्दगी बसर करने में मदद करें। यही अल्लाह के नेक बंदों का काम है। इस तरह ईद अमीर-गरीब के बीच की खाई को पाटने में पुल का काम करती है।
हुसैनी जामा मस्जिद बड़गो के इमाम मौलाना मो. उस्मान बरकाती ने बताया कि अल्लाह ने कुरआन में रोजे का हुक्म दिया और पूरे दिन रोजेदार कुरआन में बताए रास्ते पर चलने को लालायित रहता है। दिनभर रोजा रखकर रोजेदार को जो खुशी होती है, उससे बड़ी खुशी वह आखिरत में अल्लाह से रोजे के बदले अब्दी ईनाम को पाकर महसूस करेगा। उन्होंने कहा कि मुसलमान सदका-ए-फित्र व जकात जल्द अदा कर दें ताकि जरूरतमंद अपनी जरूरतें पूरी कर लें। जकात दीन-ए-इस्लाम का अहम रुकन है। यह गरीबों, मिस्कीनों, यतीमों का हक है। लिहाजा जल्द उन तक रकम पहुंच जाएगी तो उनकी जरूरतें पूरी हो जाएगी।