संजय जी ने कह दी कलाकारों के हक की बात। उन्होंने कहा आज कितने भोजपुरी फिल्म के कलाकारों के पास खुद का घर नही
मुंबई।
भोजपुरी के मजबूत चरित्र अभिनेता संजय पांडेय की कहानी। विलेन के रूप में आपने उन्हें पर्दे पर ज्यादा देखा है। हालांकि किसी भी किरदार में जान फूंक देने का माद्दा रखते हैं संजय पांडेय। भोजपुरी इंडस्ट्री में मैं बहुत कम ऐसे लोगों को जानता हूं जो हर समय कुछ नया सीखने की कोशिश में जुटे रहते हैं। जो कुछ न कुछ नया लिखते पढ़ते रहते हैं। आप संजय पांडेय जी से जब भी मिलेंगे किसी नई किताब पर चर्चा होगी, अभिनय के किसी बारीक पहलू पर चर्चा होगी, भोजपुरी इंडस्ट्री की बेहतरी पर चर्चा होगी या फिर माहौल को हल्का करने के लिए कुछ कॉमेडी रील्स की तैयारी होगी। पर्दे पर जितना ही गंभीर और खतरनाक यह इंसान दिखता है, अंदर से उतना ही सहज और मासूम है।
इनकी एक और खासियत है जहां कमियां हैं उस पर ललकार कर बोलते और लिखते हैं। भोजपुरी इंडस्ट्री में जल्दी लोग कमियों पर सवाल नहीं उठा पाते। खासकर चरित्र अभिनेताओं के लिए तो और दिक्कत है। इंडस्ट्री पर सवाल उठाना मतलब खुद के लिए मुसीबत मोल लेना। लेकिन संजय पांडेय जानते हैं कि चीजें बेहतर करनी है तो आवाज तो उठानी होगी। चीजों को बेहतर करना है तो सिस्टम को कई बार आईना दिखाना पड़ता है। औऱ फिर अगर अपनों के हक के लिए अपने ही आवाज नहीं उठाएंगे तो उठाएगा कौन? और यही बात संजय पांडेय को सबसे अलग और खास बनाती है।
अभी पिछले दिनों ही उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में बड़े स्टार्स को छोड़कर बाकियों के हालात पर बेबाकी से अपनी कलम चलाई थी और पूछा था कि आखिर कितने फीसदी अभिनेता और तकनीशियन ऐसे हैं जो अपनी कमाई से घर और गाड़ी लिए हैं, शायद 5 फीसदी। हम लोग हीरो लोगों के घर और गाड़ी को देखकर खुश हो जाते हैं…।
संजय पांडे का यह सवाल भोजपुरी इंडस्ट्री के लिए बहुत ही जरूरी और गंभीर सवाल है जिस पर बहस होनी चाहिए। ऐसे सवाल उठाए जाने जरूरी हैं और इन सवालों को उठाने के लिए संजय पांडेय बधाई के पात्र हैं। भोजपुरी इंडस्ट्री को बेहतर कोई बाहरी नहीं कर सकता है। इसके भीतर के लोग ही इसे बेहतर कर पाएंगे और इस बात को संजय बखूबी जानते हैं। पर्दे पर अपनी अदायगी से सबको कायल बनाने वाले संजय पांडेय भोजपुरी इंडस्ट्री को बेहतर बनाने के लिए जिस तेवर से इन जरूरी मुद्दों को उठा रहे हैं, उसके लिए एक सलाम तो बनता ही है। ये तेवर बरकरार रहे। बस यही दुआ है। नया पढ़ते रहिए, नया गढ़ते रहिए, इस जिंदादिली को खुद में बरकरार रखिए और अपनी ऐक्टिंग से हम सबका मनोरंजन करते रहिए। बस यही दुआ है, एक बार फिर संजय पांडे को बधाई अभिनय में अब तक की इस खूबसूरत यात्रा के लिए…ये य़ात्रा अनवरत जा रहा है।