बता दें कि मुहर्रम पर्व मुहर्रम माह के दसवीं तारीख को मनाई जाती है जिसे यो में आशूरा भी कहते हैं कहा जाता है कि इसी दिन कर्बला के मैदान मैं हक और बातिल की लड़ाई के लिए यह जंग हुई थी यजीद नास्तिक आदमी था और वह अपने आप को प्रॉफिट समझता था लेकिन हजरत इमाम हुसैन को यह मंजूर नहीं था हजरत इमाम हुसैन मोहम्मद साहब के नाती हैं इसलिए यजीद से जंग हुई यजीद का लश्कर बहुत ज्यादा था यजीदी ओने हसन हुसैन पर पानी भी बंद कर दिया था क्योंकि दरिया पर उसका पहरा था बरहाल जंग हुई तमाम लोग शहीद हुए और इमाम हुसैन जब नमाज के लिए सजदे में सर रखें तो उनका सर कलम कर दिया गया इसीलिए उनकी याद में हर साल दसवीं मुहर्रम को मुहर्रम पर्व मनाई जाती है
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