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महाराजगंज

दंतेवाड़ा में शहीद वीर बिजय कुमार के स्मृति में बनाए गए स्मारक का सिसवा विधायक ने किया लोकार्पण ।

दंतेवाड़ा में शहीद वीर बिजय कुमार के स्मृति में बनाए गए स्मारक का सिसवा विधायक ने किया लोकार्पण ।

 

छ जुलाई वर्ष 2010 को दंतेवाड़ा के नक्सली हमले में शहीद हुए थे ठूठीबारी के लाल

 

पंचायत भवन में बनाया गया शहीद स्मारक

 

महराजगंज -ठूठीबारी कस्बे में स्थित पंचायत भवन में 15अगस्त 2023का दिन यादगार बन गया। पंचायत भवन में बनाए गए दंतेवाड़ा के शहीद की स्मृति में बना स्मारक का सिसवा विधायक प्रेम सागर पटेल ने लोकार्पण किया।जिसे देख कार्यक्रम में उपस्थित लोगों की आंखें नम हो गई। वहीं कस्बे के लाल के शहीद होने को लेकर बनाएं गए स्मारक पर हर कस्बा वासी गर्व करता दिखाई दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ बतौर मुख्य अतिथि सिसवा विधायक प्रेम सागर पटेल ने शहीद के चित्र पर पुष्प गुच्छ अर्पित कर माल्यार्पण किया। इसके साथ ही झण्डा रोहण कर राष्ट गान किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शहीद के बलिदान पर पुरे देश को गर्व है उनका बलिदान भुलाया नहीं जा सकता इस दौरान शहीद के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया इसके बाद शहीद बिजय कुमार अमर रहे,जब तक सुरज चांद रहेगा बिजय तुम्हारा नाम रहेगा के नारों से गूंज उठा।इस मौके पर कार्यक्रम में वीडीओ शमा सिंह, एडीओ पंचायत विनय पांडेय ,सचिव दीप्ती जायसवाल, ग्राम प्रधान अजय कुमार उर्फ अजीत कुमार,सेक्रेटरी अब्दुल्लाह, पंचायत मित्र दुर्गेश कुमार, नृपेंद्र सिंह, अभय मित्र पांडेय, सहायक विनय पांडेय, अवधेश निगम, अख्तर अली, वेद प्रकाश पांडेय, जोखू खरवार, वीडीसी बबलू खां, नरसिंह यादव , दुर्गा प्रसाद गुप्ता,साधन सहकारी समिति के अध्यक्ष जयशंकर सिंह उर्फ ईन्टु सिंह, व्यापार मंडल अध्यक्ष दिनेश रौनियार, संदीप निगम,आदि लोग मौजूद रहे।

 

छ जुलाई वर्ष 2010 के नक्सली हमले में शहीद हुए थे वीर शहीद विजय कुमार

 

कस्बे के राधा कुमारी में तैनात व्यायाम शिक्षक महेश प्रसाद के तीन बेटों में सबसे छोटे वीर शहीद विजय कुमार ने 2006 में सीआरपीएफ में सर्विस ज्वाइन किया। इस दौरान उनकी कई जगह पोस्टिंग हुई। 2010 में जब उनकी पोस्टिंग छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुई तो वह एक बार होली की छुट्टी में घर ठूठीबारी आए थे, तब वह अपने दोस्तों से छत्तीसगढ़ के ड्यूटी की यादें वहां के हालात बताकर जाना नहीं चाहते थे। उनके बताए अनुसार वहां हर पल खतरा था कोई सुरक्षित नहीं था लेकिन छुट्टियां खत्म होते ही अपनी बटालियन में लौट गए। छः जुलाई 2010 को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जंगल में नक्सली हमले में अपने 75 जवानों के साथ शहीद हो गए। यह आज तक का सबसे बड़ा नक्सली हमला है। वह अपने पीछे पत्नी सुनीता और एक चार वर्षीय पुत्र छोड़ गए थे। वर्तमान में उनकी पत्नी सुनीता प्रयागराज में सीआरपीएफ में कार्यरत हैं।

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