श्रावणी उपाकर्म के तहत पितरों का तर्पण कर जाने-अनजाने में हुए तमाम दोषों से मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है: आचार्य अर्जुन मिश्र
फरेन्दा, महराजगंज
नगर पंचायत आनंदनगर में स्थित दुर्गा मंदिर मानसरोवर में बड़े ही उत्साह और श्रद्धापूर्वक मनाया गया श्रावणी स्नान पर्व। श्रद्धेय पं० मथुरा मणि शास्त्री व रामकृष्ण जी महाराज के प्रेरणा से 1979 से यह पर्व हर वर्ष मनाया जा रहा है। सोमवार की सुबह सनातन संस्कृति संरक्षणार्थ के आह्वान पर क्षेत्र के ब्राह्मणों ने स्नान के साथ ही पूजा अर्चना कर श्रावणी स्नान किया। ब्राह्मणों ने जलाशय में सामूहिक रूप से श्रावणी उपाकर्म, सप्तऋषि की पूजा अर्चना किया । साथ ही जाने अनजाने में जो भी दोष लगे, उनका प्रायश्चित कर ब्राह्मणों ने अपने जनेऊ भी बदले। इस अवसर पर क्षेत्र के विद्वान कपिल देव मणि त्रिपाठी ने कहा कि श्रावणी कर्म ब्राह्मणों का सबसे मुख्य कर्म हैं। इसको करने से वेदों के श्रवण, मनन, निदिध्यासन की योग्यता प्राप्त होती है। साथ ही शरीर के सबसे प्रमुख लक्ष्य भगवत्प्राप्ति करना ही अभीष्ट है। वह तभी हो सकता है जब द्विज अपने शास्त्रोचित कर्म को करें। वहीं आचार्य अर्जुन प्रसाद मिश्र ने बताया कि श्रावणी उपाकर्म श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को किया जाता है। इसके तहत पितरों का तर्पण कर जाने-अनजाने में हुए तमाम दोषों से मुक्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। ऐसा मान्यता है कि श्रावणी उपाकर्म करने से देवता व पितृ प्रसन्न होते हैं। इस दौरान राजेश्वर मिश्र, राकेश मणि त्रिपाठी, शारदानन्द त्रिपाठी, चंद्रप्रकाश द्विवेदी, पं अशोक त्रिपाठी , विन्ध्यवासिनी पांडेय, मनोज मिश्र,प्रवीण मणि त्रिपाठी, हरेकृष्ण मणि त्रिपाठी, अनिल पांडेय,शैलेश मिश्र, आनंद कुमार मिश्र,शरदेन्दु पाण्डेय, कामेश्वर त्रिपाठी सहित अन्य ब्राह्मण उपस्थित रहें।