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महाराजगंज

शिव बारात की गुज के बीच मां काली की स्थापना 

 

शिव बारात के कतारों के बीच हर तरफ भगवान शिव का नारा लगा मन्दिर मंदिर कतार जल चढ़ाने की होड़ रही ऐसा लगा हर व्यक्ति ओमकार हो, इसी दिन भगवान शिव और माता काली की स्थापना बोकवा में किया गया।

 

किस बात का है प्रतीक 

शिव के ऊपर खड़ी काली दरअसल जीवन की प्रक्रिया पर पूरी महारत का प्रतीक है. ये तंत्र की तकनीक को भी दिखाता है. काली या महाकाली हिन्दू धर्म की एक प्रमुख देवी हैं. यह सुन्दरी रूप वाली भगवती पार्वती का काला और भयप्रद रूप है, जिसकी उत्पत्ति असुरों के संहार के लिए हुई थी.

पार्वती के इस रूप मां काली को बंगाल, ओडिशा और असम में पूजा जाता है. काली को शाक्त परम्परा की दस महाविद्याओं में से एक भी माना जाता है. वैष्णो देवी में दाईं पिंडी माता महाकाली की ही है।

एक मान्यता के अनुसार हर गांव की एक कुलदेवी होती हैं जिसे मां काली के नाम से जाना जाता है जो कि गांव की मालकिन होती हैं जिसकी पूजा अर्चना ग्रामीण करते हैं और एक अटूट विश्वास श्रद्धा से माथा टेकते हैं। पुराने समय में जब कोई व्यक्ति गांव से बाहर जाता था तो बिना चरणों में शीश नवाए गांव से बाहर नहीं निकलता था टेक्नोलॉजी के बीच रोजमर्रा की भाग दौड़ में पुरानी परंपरा हमारी संस्कृति और लोक कला पीछे छूट जा रही है।

ग्राम पंचायत बोकवा विकासखंड लक्ष्मीपुर जनपद महाराजगंज में मां काली के मंदिर पर मां काली की स्थापना ग्राम प्रधान रामनाथ वर्मा के नेतृत्व में किया गया जहां ग्रामीण समेत बच्चे भी मौजूद रहे।

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