मुख्य चिकित्सा अधिकारी- महराजगंज के सहयोग से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र , रतनपुर, महराजगंज के प्रांगण में आज दिनांक 3 मई 2024 दिन शुक्रवार को प्रातः 10:00 बजे से शाम 3:00 बजे तक हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल एवं शोध संस्थान, गीता वाटिका, गोरखपुर द्वारा नि:शुल्क कैंसर की प्राथमिक जांच एवं प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में कैंसर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सी. पी. अवस्थी द्वारा शिविर में दिखाने एवं परामर्श लेने आए 143 मरीजों को कैंसर अस्पताल के चिकित्सक डॉ. सी. पी. अवस्थी ने बारी बारी से हर एक का मूल्यांकन, सलाह, कैंसर संबंधित लक्षण की जांच और उचित परामर्श एवं निशुल्क दवाई दी गई।
कैंसर जागरूकता अभियान के तहत इस स्वास्थ्य केंद्र से संबंधित ए. एन. एम., संगिनी एवं आशा कार्यकर्ताओं तथा अस्पताल में आए लोगों को बताया गया कि कैंसर मूल रूप से एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर की कोशिकाओं का असामान्य विकास होता है जो शरीर के विभिन्न भागों में फैल जाता है। यह शरीर के एक हिस्से में उत्पन्न होता है और इसमें विभिन्न अंगों में घुसने की क्षमता होती है। अगर इस बीमारी का प्रारंभिक अवस्था में पता लग जाता है तो यह रोग ठीक हो सकता है। जैसे जैसे समस्या की गंभीरता बढ़ती जाती है इससे निपटना कठिन होता जाता है। अगर कैंसर की स्थिति दर्दनाक है तो इसके उपचार करने के लिए इस्तेमाल तरीके भी समान रूप से पीड़ादायक हैं। इसलिए सतर्क रहना और समस्या को पहली बारी में उत्पन्न होने से पहले दूर करना महत्वपूर्ण है। इसके लक्षणों को पहचान कर इसकी अनदेखी करना भी बहुत बड़ी भूल है।
लगातार खांसी में खून आना, आंत्र की आदतों में बदलाव, मल में खून आना, अस्पष्टीकृत एनीमिया (कम रक्त गणना) , स्तन में गांठ या स्तन से स्राव, अंडकोष में गांठें पेशाब में बदलाव, पेशाब में खून आना, तीन से चार सप्ताह से अधिक समय तक गला बैठना, लगातार गांठें या सूजी हुई ग्रंथियां, तीन से चार सप्ताह से अधिक समय तक मस्से या तिल में स्पष्ट परिवर्तन, बड़े तिल या बहुरंगी तिल जिनके किनारे अनियमित हों या जिनमें खून बह रहा हो, अपच या निगलने में कठिनाई, असामान्य योनि से रक्तस्राव या स्राव, अप्रत्याशित वजन घटना, रात को पसीना आना, या बुखार, मुंह में ठीक न होने वाले घाव या मसूड़ों, जीभ, या टॉन्सिल पर लगातार सफेद या लाल धब्बे, गंभीर असहनीय सिरदर्द जो सामान्य से अलग महसूस हो, अधिक समय तक पीठ दर्द, पेल्विक दर्द, सूजन, या अपच आदि कैंसर का संकेत हो सकता है । ऐसे में कैंसर के चिकित्सक को जरूर दिखाना चाहिए ताकि पता लगकर अगर कैंसर हो तो उसका तुरंत एवं उचित इलाज हो सके। 30 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को कैंसर, विशेष रूप से गर्भाशय ग्रीवा और स्तनों के लिए परीक्षण करना चाहिए, क्योंकि प्रारंभिक युवी अवस्था में निदान होने पर यह पूरी तरह से ठीक हो सकता है। कैंसर में बचाव ही सबसे उपयुक्त ईलाज है। खाने में ब्रोकली के अलावा लहसुन, प्याज, अदरक, हल्दी, पपीता, कीनू, संतरे, गाजर, आम, कद्दू, अंगूर, टमाटर, तरबूज, फलियां और दाल के सेवन से भी कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं। पानी तो खूब पिए लेकिन हमेशा बैठ कर। आजकल गर्मी में तरबूज तो खाइए लेकिन वही तरबूज खाना चाहिए जो प्राकृतिक रूप से उगी हो नहीं तो कैंसर हो सकता है।
सभी लोगो को कैंसर से संबंधित पत्रक, विवरण पुस्तिका, फ्लिपबुक, पोस्टर, लीफलेट/चित्रों के साथ पैम्फलेट आदि वितरित किया गया ताकि वे अपने क्षेत्र में कार्यक्रम आयोजित कर और लोगो को कैंसर के बारे मे जागरुक कर सकें।
शिविर में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राकेश सिंह, डॉ. राकेश श्रीवास्तव, डॉ. विश्वजीत राय , अजय श्रीवास्तव, सत्यवती तिवारी, देवेंद्र यादव, संजय, अंकित पांडेय , नारद मुनि, स्वास्थ्य केन्द्र के डॉक्टर एवं कर्मचारियों आदि का कार्य उल्लेखनीय रहा।